उम्र गुजरेगी इम्तेहान में क्या जॉन एलिया
उम्र गुजरेगी इम्तेहान में क्या,उम्र गुजरेगी इम्तेहान में क्यादाग ही देंगे मुझको दान में क्या ,
उम्र गुजरेगी इम्तेहान में क्या ,
दाग ही देंगे मुझको दान में क्या,
मेरी हर बात बे-असर ही रही,मेरी हर बात बे-असर ही रही
नफ्स है मेरे बयान में क्या
बोलते क्यों नही मेरे अपने ,बोलते क्यों नहीं
आवले पड़ गए ज़बान में क्या,
मुझको तो कोई टोकता भी नहीं मुझको तो कोई टोकता भी नहीं,
यही होता है खानदान में क्या,
अपनी मैहरुमियां छिपाते है,अपनी मैहरुमियां छिपाते है,
हम गरीबो की आन-बान में क्या,
वो मिले तो पुछना है मुझे ,वो मिले तो पुछना है मुझे,
अब भी मै हूँ तेरी आमान में क्या,
यूँ जो तख्ता है आसमान को तू ,यूँ जो तख्ता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या,
ये मुझे चैन क्यू नहीं पढ़ता ,ये मुझे चैन क्यू नहीं पढ़ता,
एक ही शख्स था जहान में क्या,
है मोहब्बत हयात की लज्ज़त ,है मोहब्बत हयात की लज्ज़त
वरना कुछ लाज्ज़ते हयात नहीं ,
क्या इजाज़त है एक बात कहूं ,क्या इजाज़त है एक बात कहूं
वो मगर खैर कोई बात नहीं
शर्म ,देह्स्त ,झीझक ,परेशानी
शर्म ,देह्स्त ,झीझक ,परेशानी नाक से काम क्यू नहीं लेतीं ,
आप ,वो, जी, मगर, ये सब क्या है तुम मेरा नाम क्यू नहीं लेतीं
कोई रहता है आसमान में क्या,
ये मुझे चैन क्यू नहीं पढ़ता ,ये मुझे चैन क्यू नहीं पढ़ता,
एक ही शख्स था जहान में क्या,
है मोहब्बत हयात की लज्ज़त ,है मोहब्बत हयात की लज्ज़त
वरना कुछ लाज्ज़ते हयात नहीं ,
क्या इजाज़त है एक बात कहूं ,क्या इजाज़त है एक बात कहूं
वो मगर खैर कोई बात नहीं
शर्म ,देह्स्त ,झीझक ,परेशानी
शर्म ,देह्स्त ,झीझक ,परेशानी नाक से काम क्यू नहीं लेतीं ,
आप ,वो, जी, मगर, ये सब क्या है तुम मेरा नाम क्यू नहीं लेतीं
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